संदेश

Political angle of historiography.

 शिक्षा से मनुष्य अच्छा नहीं चालाक बनता है, चिंता कि मुद्रा प्रकृति के विरूद्ध है।सोचनेवाला मनुष्य पतित प्राणी होता है जब से समाज में पंडितों कि संख्या बढ़ी तभी से ईमानदार लोगों की संख्या घटने लगी।बुद्धि का जो क्षिप्र विकास हो रहा है उसे रोक देने में ही  मानवता का कल्याण है, इसके बदले में मनुष्य के हृदय और आत्मा का विकास करना चाहिए।- रूसो रूसो के इस कथन से मैं पूर्ण रूप से सहमत तो नहीं हूं परन्तु आज इतिहास को लेकर जिस तरह के वाद विवाद हो रहे हैं और इतिहास के पुनर्लेखन संबंधित आदि बातें उभरकर आती है इस अर्थ में रूसो का यह कथन बहुत हीं प्रासंगिक हो जाता है। भारतीय इतिहास विभिन्न धर्मों संप्रदायों और जातियों के हितों के विरोधाभासों का इतिहास रहा है।प्राचीन काल से ही यहां विभिन्न आक्रमण हुए और अलग अलग लोग यहां आकर अपना निवास स्थान बनाए।इसलिए यदि भारतीय इतिहास के शासक को यदि शासक के रूप में ना देखकर उसे धार्मिक शासक के रूप में निरूपित करेंगे तो दिक्कतें और भी बढ़ती जाएगी। कोई शासक किसी समूह का आदर्श है और वही शासक किसी समूह का विरोधी।ऐसे अनेक उदाहरण इतिहास में देखने को मिलते है शास...

धर्म क्या है?

"धार्यते इती धर्मः"  अर्थात धर्म वही है जो धारण  करने योग्य हो।धर्म के इसी परिभाषा को अन्य शब्दों में इस प्रकार कहा गया है,       धर्मः यो बाधते धर्मः,न स धर्मः कुधर्मः तत,        अविरोधी तु यो धर्मः, स धर्मः सत्यविक्रमः। उसी परिभाषा को और भी सरल और स्पष्ट हमारे महापुरुषों और विचारकों ने बना दिया जो निम्न है- मनुष्य जैसे विज्ञान का दुरुपयोग किया है वैसे हीं उसने धर्म का भी दुरुपयोग हीं किया है,क्यों की आज की दुनिया में हम सब के सब नास्तिक है।हमारा ईश्वरीय सत्ता में विश्वास हमारी पूजा और प्रार्थना सब के सब कृत्रिम आचार है। - अरविंदो यदि हम धार्मिक होने का दावा करते हैं तो हमें धर्म को अपने जीवन में उतारना चाहिए यदि जीवन धर्ममय नहीं है तो धर्म निर्जीव सिद्धांत मात्र रह जाता है।- अरविंदो मैं धर्म के किसी भी ऐसी व्याख्या को मानने से इंकार करता हूं जो महाविद्वानों का होने पर भी नैतिक भावना और बुद्धि के विरूद्ध है।मेरा धर्म हिन्दू धर्म नहीं है,बल्कि वह धर्म है जो हिंदुत्व से भी आगे जाता है,जो हिंदुत्व के भीतर के सत्यों पर आधारित है ,जो क्...